मध्यप्रदेश चावल घोटाला आपको मालूम है कि मध्य प्रदेश में चावल घोटाले की गूंज सुनाई दे रही है। इससे पहले भी हमने आपको एक खबर में बताया था कि मध्य प्रदेश में कई जिलों में खराब चावल बैठे हैं केंद्र ने इसकी रिपोर्ट ली है और सर्वे में पाया गया है कि वह चावल खराब है और लो क्वालिटी के हैं जिससे मुर्गी और अन्य पक्षियों को डालने के लिए दिया जाता है इस तरीके के राशन लॉकडाउन के समय लोगों में बांटे गए हैं। बालाघाट और मंडला के बाद प्रदेश के अनूपपुर, शिवपुरी, भिंड, देवास और इंदौर जिले की राशन दुकानों पर भी पोल्ट्री ग्रेड (मुर्गी आहार योग्य) का चावल पाया गया है। भारतीय खाद्य निगम की जांच में 16 नमूने और अमानक पाए गए हैं। यह चावल मनुष्यों के खाने योग्य नहीं है। प्रदेश में अभी तक गोदामों से चावल के डेढ़ हजार से ज्यादा नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं।
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मध्यप्रदेश चावल घोटाला
इनकी केंद्र सरकार की प्रयोगशाला में जांच कराई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय खाद्य निगम की प्रयोगशाला में जैस-जैसे नमूनों की जांच होती जा रही है, वैसे-वैसे रिपोर्ट राज्य नागरिक आपूर्ति निगम को भेजी जा रही है।
559 नमूनों की जांच कर प्रारंभिक रिपोर्ट भेजी गई है। इसमें से 16 नमूने पोल्ट्री ग्रेड के पाए गए हैं।
यह चावल मनुष्यों के खाने के योग्य नहीं है। ऐसा ही मामला केंद्र सरकार की जांच में बालाघाट और मंडला में सामने आया था। इसके बाद पूरे प्रदेश से भारतीय खाद्य निगम और राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के संयुक्त दल बनाकर चावल के नमूने (सैंपल) लिए गए।
निगम के अधिकारियों का कहना है कि जिस चावल के भंडार का नमूना लिया जाता है, वह अधिकतम 160 टन का होता है। बताया जा रहा है कि शिवपुरी, भिंड, देवास और इंदौर के गोदामों में चावल बालाघाट, मंडला, अनूपपुर, जबलपुर, कटनी आदि क्षेत्रों से ही पहुंचा है। इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरित किया जाना था।